संवाददाता : अरुण शंकर त्रिपाठी ।
महराजगंज: नकली दवाएं बरामद होने के 5 दिन बाद भी पुलिस अब तक असली मुजरिम को पकड़ना तो दूर उसके आसपास के खास हित- मित्रों से प्रभावी ढंग से पूछताछ नहीं कर पाई है| क्या इसकी आड़ में दवा माफियों को बचाने का रास्ता ढूंढा जा रहा है| मुद्दे की बात यह है कि सफेदपोश नहीं चाहते कि, पुलिस असली गुनहगारों को जेल भेजें|
बताया जा रहा है कि दो दर्जन दवा की कंपनियों को नोटिस भेजा गया है| इनमें सनफार्मा, इन्टास, कुपार, गिलकोन, लेब्रोटरी, एलीकान समेत दो दर्जन से ज्यादा दवा कंपनियों को नोटिस भेजी गई है|
अब तक एजेंसियों ने इस बात का खुलासा नहीं किया है कि, किन- किन कंपनियों की किस- किस नाम की नकली दवाइयां कितनी मात्रा में बरामद हुई है| सिर्फ दवाओं के फार्मूले के नाम उजागर किए गए हैं| जो जांच की दिशा को लेकर संदेह पैदा कर रहा है|
आखिर क्यों जांच एजेंसीयां यह नहीं राज खोल रही हैं कि, पकड़ी गई कंपनियों की दवाओं के महराजगंज, कुशीनगर, देवरिया, गोरखपुर तथा आसपास के जिलों आदि में कौन-कौन फर्में इन कंपनियों की स्टार्किस्ट/ डिस्ट्रीब्यूटर्स/ सी एण्ड एफ के रूप में इस इलाके में दवाएं उपलब्ध कराती थीं|
अब दबाव में जिस तरह लोगों का जान लेने पर उतारू दवा माफियों को बचाने और जांच की दिशा को भ्रमित करने का खेल शुरू किया गया है, वह हैरान करने वाला है|
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